सुविधाओं के लिए इंटरनेट ऑफ थिंग्स
सुविधाओं के लिए इंटरनेट ऑफ थिंग्स : यह तकनीक इस समय सबसे ज्यादा चर्चित है। इसके जरिए आपके पास उपलब्ध टीवी, फ्रिज, कार, ओवन जैसा हर उपकरण और यहां तक कि आप भी इंटरनेट का हिस्सा बन जाएंगे। हर चीज आपस में जुड़ी होगी। उदाहरण के लिए फ्रिज में अगर सब्जी खत्म होती है तो इसकी जानकारी
आपके ग्रॉसरी स्टोर तक पहुंच जाएगी या आपके मोबाइल पर सब्जी खरीदने के लिए रिमाइंडर आ जाएगा। मोबाइल ऐप्स घर के उपकरणों को चलाएंगे। बैठने से पहले ही कार ट्रैफिक की सारी जानकारी इकट्ठी कर लेगी। फिटनेस ट्रैकर जैसे गैजेट्स इसकी महज शुरुआत हैं और माना जा रहा है कि 2020 तक दुनिया में 46 अरब डिवाइस होंगे, सारे इंटेलीजेंट और एक-दूसरे के सम्पर्क में रहने वाले होंगे। >
आसानी के लिए सीमैंटिक वेब : गूगल या याहू जैसे सर्च इंजन पर कोई विषय सर्च करते हैं तो एक साथ दुनियाभर के नतीजे सामने आ जाते हैं जिनमें से कई काम के नहीं होते। सीमैंटिक वेब तकनीक आपकी सर्च के नतीजे (जैसे लेख, वीडियो, वेबसाइट) आपकी लोकेशन, पसंद और जरूरत के मुताबिक देगी, जिससे नतीजे छांटना आसान हो जाएगा।
पहुंच के लिए प्रोजेक्ट लून : गूगल द्वारा शुरू किए गए इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य ग्रामीण एवं सुदूरवर्ती क्षेत्रों में इंटरनेट पहुंचाना है। इसके लिए गूगल ने 15 मीटर व्यास के गुब्बारों को हवा में लगभग 20 किमी ऊपर भेजा है। इन गुब्बारों में इंटरनेट देने के लिए जरूरी उपकरण रखे जाते हैं। अभी इस प्रोजेक्ट की इंग्लैंड, न्यूजीलैंड में टेस्टिंग हो रही है।
गति के लिए ऑप्टिकल फाइबर : कम्युनिकेशन और इंटरनेट के क्षेत्र में अभी भी ऑप्टिकल फाइबर केबल्स का इस्तेमाल होता है और अब इन्हें और बेहतर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। ऑप्टिकल फाइबर केबल्स की मदद से ही अभी दुनियाभर में डाटा ट्रांसफर होता है। ये केबल्स समुद्र के नीचे बिछी हुई हैं। अब इन्हीं केबल्स पर लोड बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
लेकिन इसके हल के लिए अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रल फ्लोरिडा ने ऐसी ऑप्टिकल फाइबर की खोज भी कर ली है जो मौजूदा ऑप्टिकल फाइबर की तुलना में 21 गुना तेज है। यानी इससे अभी की तुलना में ज्यादा डाटा कम समय में ट्रांसफर किया जा सकेगा जिससे इंटरनेट की गति बढ़ाने में मदद मिलेगी।
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